
क्या अब बदलेगी बिहार की राजनीति ? पान समाज की आवाज़ को मिलेगा दम |
पटना से दिल्ली तक पान समाज की आवाज गूंज रही है। और अब दिल्ली के 10 जनपथ में विपक्ष के नेता राहुल गांधी और इंजीनियर आईपी गुप्ता के बीच एक महत्वपूर्ण बैठक भी हो गई है, जिसमें पान समाज के आरक्षण, राजनीतिक भेदभाव और 75 साल की उपेक्षा जैसे गंभीर मुद्दों पर विस्तार से चर्चा की गई। यह मुलाकात बिहार के पान समाज के लिए एक नई उम्मीद लेकर आई है, क्योंकि इसमें उठाए गए मुद्दे सीधे बिहार की राजनीति को प्रभावित कर सकते हैं।
आईपी गुप्ता ने राहुल गांधी से स्पष्ट रूप से कहा कि पान समाज को न्याय मिलना चाहिए, और इसके लिए कांग्रेस पार्टी की जिम्मेदारी बनती है। गुप्ता ने राहुल गांधी को याद दिलाया कि 1968 में कांग्रेस सरकार ने (JPC) बनाई थी, जिससे पान समाज को आरक्षण देने का वादा किया गया था। उन्होंने राहुल गांधी से यह अपेक्षाएँ जताईं कि कांग्रेस पार्टी को इस जिम्मेदारी को निभाना होगा और पान समाज को न्याय दिलाना होगा।
राहुल गांधी ने आईपी गुप्ता की बातों को गंभीरता से सुना और आश्वासन दिया कि वह इस मुद्दे को संसद के आगामी मानसून सत्र में उठाएंगे। राहुल गांधी ने कहा कि कांग्रेस पार्टी पान समाज के हक के लिए संघर्ष करती रहेगी और इस मुद्दे पर ठोस कदम उठाए जाएंगे।
यह बैठक पान समाज के लिए खास महत्व रखती है । इस मुद्दे पर राजनीतिक भेदभाव और उपेक्षा की शिकायतें लगातार उठ रही हैं। आईपी गुप्ता ने इस दौरान यह भी स्पष्ट किया कि पान समाज के लोग वर्षों से समाज में उपेक्षित हैं और उन्हें उनके हक से वंचित रखा गया है। उन्होंने पान समाज के लोगों से एकजुट होकर इस आंदोलन को ताकत देने की अपील की।
साथ ही आईपी गुप्ता ने इस बैठक के बाद एक बड़ा ऐलान किया। उन्होंने कहा कि वह 7 अप्रैल को पटना में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित करेंगे, जिसमें वह कांग्रेस पार्टी से आधिकारिक रूप से इस्तीफा देंगे। इसके साथ ही उन्होंने पान समाज के लोगों से अपील की कि जो लोग अपने-अपने दलों से इस्तीफा देना चाहते हैं, वे इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में उनके साथ शामिल हों। गुप्ता का यह कदम बिहार की राजनीति में एक बड़ा बदलाव ला सकता है, क्योंकि उनकी अगुवाई में पान समाज का एक बड़ा हिस्सा राजनीतिक बदलाव के लिए तैयार हो सकता है।
इसके अलावा, आईपी गुप्ता ने 13 अप्रैल को पटना के गांधी मैदान में एक ऐतिहासिक रैली का आह्वान भी किया। इस रैली में लगभग 13 लाख पान समाज के लोग शामिल होंगे, जो पान समाज के आरक्षण की बहाली और उनके हक की मांग करेंगे। यह रैली बिहार की राजनीति के लिए एक निर्णायक मोड़ साबित हो सकती है। अगर पान समाज की यह रैली सफल होती है, तो यह समाज के लिए एक बड़ी जीत हो सकती है और पान समाज की आवाज को राष्ट्रीय मंच पर मजबूती से उठाया जा सकता है।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि बिहार की राजनीति में इस आंदोलन से नया बदलाव आ सकता है। पान समाज की आवाज़ अब पहले से कहीं ज्यादा मजबूत हो सकती है, क्योंकि पान समाज के लोग अपने हक के लिए एकजुट हो रहे हैं। राहुल गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस पार्टी भी इस मुद्दे पर गंभीर है और इसे संसद में उठाने की बात कर चुकी है, जिससे पान समाज के लोगों को उम्मीद है कि उन्हें उनका हक मिलेगा।
यह आंदोलन बिहार में केवल पान समाज के अधिकारों की लड़ाई नहीं होगी, बल्कि एक बड़े सामाजिक और राजनीतिक बदलाव की ओर इशारा करेगा। अगर यह रैली और आंदोलन सफल होते हैं, तो न केवल पान समाज को न्याय मिलेगा, बल्कि बिहार की राजनीति में एक नई दिशा देखने को मिल सकती है।
अब 13 अप्रैल को गांधी मैदान में होने वाली रैली पर सभी की नजरें टिकी हैं। यह रैली पान समाज के हक के लिए निर्णायक साबित हो सकती है और बिहार की राजनीति में बड़ा बदलाव ला सकती है। क्या पान समाज को अब उनका अधिकार मिलेगा? इसका जवाब 13 अप्रैल को गांधी मैदान में मिलेगा।