
बिहार कांग्रेस ने चुनाव की तैयारी शुरू कर दी है दिल्ली में बड़ी बैठक हुई, बिहार में प्रदेश अध्यक्ष बदले गए । राजेश राम को बिहार कांग्रेस की जिम्मेदारी सौंपी गई दूसरी तरफ बिहार के युवा कांग्रेस को मजबूती दिलाने का काम कन्हैया कुमार और कृष्णा अल्लावरू कर रहे हैं और अब एक और बड़ा दलित चेहरा कांग्रेस में शामिल होने जा रहा है जिनका नाम है विनोद कुमार चौधरी।
यह वही विनोद कुमार चौधरी हैं जो, राहुल गांधी जब बिहार आएं थे तो पूरे कार्यक्रम की जिम्मेदारी इनके कंधे पर थी राहुल गांधी के बेहद ही करीबी माने जाने वाले बिनोद कुमार चौधरी कल सदाकत आश्रम में ऑफिशल तौर पर कांग्रेस के हो जाएंगे। सदाकत आश्रम में कांग्रेस का मिलन समारोह रखा गया है जहां भव्य तैयारी हो रही है विनोद कुमार चौधरी कांग्रेस को एक नई ऊंचाई पर ले जाएंगे।
बिहार विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस ने सियासी एक्सरसाइज शुरू कर दी है | कांग्रेस नेता राहुल गांधी बिहार में सामाजिक न्याय के मुद्दे पर ही चुनावी बिसात बिछा रहे हैं. कांग्रेस का प्राइम फोकस बिहार के दलित समाज के वोटों पर है, जिसके इर्द-गिर्द ही राहुल सियासी तानाबाना बुन रहे. इसी वजह से कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष पद से भूमिहार समाज से आने वाले अखिलेश प्रसाद सिंह की छुट्टी कर दलित समुदाय से आने वाले दो बार के विधायक राजेश कुमार को बिहार कांग्रेस की बागडोर सौंप दी है|
बिहार में कांग्रेस की नजर अपने पुराने वोट पर है, कांग्रेस की परंपरागत वोटर दलित समाज है| कांग्रेस की नजर दलित के लगभग 18 फीसदी वोट को अपने पाले में करने की है| दलित परंपरागत रूप से फिलहाल सत्ता के साथ ही रहना चाहते हैं | बीजेपी और जेडीयू के पास भी कोई बड़ा दलित चेहरा नहीं है| आरजेडी में तेजस्वी यादव को आगे करने के चलते दलित लीडरशिप उभार नहीं रही | ऐसे में कांग्रेस ने दलित मतों के लिए राजेश राम को आगे किया, जिनकी विरासत में राजनीति है | राजेश कुमार को प्रदेश अध्यक्ष बनाकर दलित समुदाय को सियासी संदेश देने का दांव कांग्रेस ने चला है| वही अब विनोद चौधरी का कांग्रेस में शामिल होना कांग्रेस को नई ऊंचाई पर ले जाएगा।
आगामी विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की ओर से विनोद कुमार चौधरी को बड़ी जिम्मेदारी भी सौंपी जा सकती है क्योंकि विनोद चौधरी राहुल गांधी के बेहद ही करीबी है | ऐसे में आने वाले वक्त में पता चलेगा कि कौन सी सीट से यह चुनाव लड़ेंगे ,फिलहाल कांग्रेस में शामिल होकर इन्होंने दलित वोट बैंक को कांग्रेस की तरफ आकर्षित करवाने का वादा तो जरूर कर लिया है।
बीहार में दलित वोटों की बात करें तो करीब 18 फीसदी दलित वोटर है, जिनके लिए 38 सीटें आरक्षित हैं| इस तरह से दलित मतदाता सत्ता बनाने और बिगाड़ने की ताकत रखते हैं| लंबे समय तक यह कांग्रेस का वोटबैंक हुआ करता था, लेकिन बाद में अलग-अलग पार्टियों में बिखर गया| 90 के दशक में अगड़े बनाम पिछड़ों की लड़ाई में दलित वोटर आरजेडी के खेमे में पहले खड़ा रहा| लालू प्रसाद यादव दलितों को अपने साथ रखकर 15 साल तक बिहार की सत्ता में बने रहे|
मंडल बनाम कमंडल की पॉलिटिक्स में सबसे बड़ा नुकसान कांग्रेस का हुआ है| दलित-ओबीसी वोटर आरजेडी-जेडीयू-एलजेपी के साथ चला गया तो सवर्ण मतदाता बीजेपी से जुड़ गया| इसके चलते कांग्रेस बिहार की सियासत में हाशिए पर पहुंच गई|, कांग्रेस अब दोबारा से दलित और मुस्लिम वोटों के सहारे अपनी खोई हुई जमीन तलाश रही है| ऐसे में राहुल गांधी ने दोबारा से दलित वोटों को जोड़ने का प्लान बनाया है, जिसके लिए पहले उन्होंने दलित समाज के कई अहम चेहरे को अपने मिशन के लिए जोड़ा है राजेश राम के बाद अब विनोद चौधरी का कांग्रेस से जुड़ना बहुत बड़ा बदलाव लाएगा।