
चंद्रवंशी समाज दिखाएगा अपनी ताकत.. नीतीश सरकार ने जातीय जनगणना में चंद्रवंशियों को ठग लिया है ,संख्या है 90 लाख बताया गया है मात्र 21 लाख..! अब चुनावी साल है ऐसे में हर एक जुमले का जवाब दिया जाएगा.. दीपक चंद्रवंशी के नेतृत्व में चंद्रवंशी समाज इकट्ठा होने जा रहा है और खगड़िया में चंद्रवंशी समाज अपनी ताकत दिखाने की तैयारी में है और साफ तौर पर चेतावनी दी गई है कि अगर चंद्रवंशियों को नजरअंदाज किया गया तो फिर इसका खामियाजा सरकार को भुगतना होगा! आपको मालूम हो तो हाल ही में बिहार में जातीय जनगणना की रिपोर्ट सामने आई जिसमें हर एक समाज की संख्या बताई गई है लेकिन अब चंद्रवंशी समाज का आरोप है कि बिहार सरकार ने उन्हें ठगने का काम किया है ,उनकी संख्या कम दिखाई गई है दीपक चंद्रवंशी अब चंद्रवंशी समाज के लिए आवाज उठा रहे हैं और ताकत प्रदर्शन करने खगड़िया में एक बड़ी रैली करने जा रहे हैं। देखिए चुनावी साल है और ऐसे में सभी समाज के लोग जाग चुके हैं बिहार से जाती है की जाती नहीं और जाति के बिना राजनीति भी नहीं हो पाती , यह बच्चा-बच्चा जानता है और अब 2025 का यह चुनावी साल बेहद ही महत्वपूर्ण है और ऐसे में सभी समाज अपनी हिस्सेदारी की बात कर रहा है । जिसकी जितनी हिस्सेदारी उसकी उतनी भागीदारी के साथ कई समाज के लोग अपनी-अपनी मांगों को लेकर अपनी अपनी जनसंख्या बताते हुए नितेश सरकार को घेरने में लगे हैं और उनका साफ तौर पर कहना है कि उनके समाज को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता और इसी के मध्य नजर पहले से ही कई समाज के नेताओं के बारे में आपने सुना होगा की ताकत प्रदर्शन करते हैं तो कभी अपनी मांग को लेकर कोई बड़ा आंदोलन शुरू कर देते हैं ,बड़ी-बड़ी रैली की जाती है ,और ये सिर्फ बिहार के अलग-अलग जिलों में नहीं बल्कि पटना तक यह आवाज पहुंचती है और अब दीपक चंद्रवंशी भी आगे आ गए हैं।
दीपक चंद्रवंशी वो जो करीबन 12 सालों से समाज सेवा में लीन है और ऐसे में अब अपने समाज को एक ऊंचाई पर ले जाने की कोशिश उनकी शुरू हो चुकी है।। जिसके लिए 14 अप्रैल को इन्होंने खगड़िया में मीटिंग बुलाई है और वहां बड़ी संख्या में चंद्रवंशी समाज इकट्ठा होने जा रहा है। हजारों की तादाद में भीड़ पहुंचने की उम्मीद जताई जा रही है। चन्द्रवंशी क्षत्रिय समाज का हिस्सेदारी भागीदारी सम्मेलन खगड़िया के टॉउन हॉल में आयोजित होगा। खगड़िया चलो नारे के साथ इस सम्मेलन में लोगों को एकत्रित होने की अपील की जा रही है।
दीपक चंद्रवंशी के नेतृत्व में ये सम्मेलन होगा |दीपक चंद्रवंशी हमेशा से अपने समाज के लिए तत्पर रहे हैं |जब-जब उनके लोगों को उनकी जरूरत पड़ी है वह आगे आए हैं ,बढ़ चढ़कर लोगों की मदद की है और अब अपने समाज को उनकी असली हिस्सेदारी दिलवाने के लिए अहम कदम उठाने जा रहे हैं । बाकी यह चुनावी साल है तो ऐसे में अगर चंद्रवंशी समाज अपनी एक जुटता दिखाने में सफल होता है तो हो सकता है कि आने वाले समय में दीपक चंद्रवंशी चुनाव भी लड़े और बिहार की राजनीति में कोई बड़ा खेल कर जाए।
चंद्रवंशी समाज का आरोप है कि बिहार सरकार ने जानबूझकर उनकी जनसंख्या को घटाकर दिखाया है, जो समाज के साथ भेदभाव करने जैसा है। दीपक चंद्रवंशी अब इस मामले को लेकर खुलकर सामने आए हैं और समाज के हक के लिए आवाज उठा रहे हैं। ये सम्मेलन चुनावी साल में बहुत अहम है, क्योंकि बिहार में जातीय राजनीति का बड़ा असर होता है। समाज के विभिन्न वर्ग अपनी हिस्सेदारी की बात करते हैं, और यह चुनावी साल सभी समाजों के लिए अपनी मांगें पूरी करने का मौका साबित हो सकता है। चंद्रवंशी समाज का कहना है कि उन्हें अपनी असली हिस्सेदारी दिलवाने के लिए यह कदम जरूरी था। दीपक चंद्रवंशी ने हमेशा अपने समाज की सेवा की है और जब-जब उनकी जरूरत पड़ी, वह समाज के लिए खड़े हुए हैं। अब वह अपनी मेहनत और संघर्ष के जरिए अपने समाज को उनका सही हक दिलवाने के लिए आगे आएं हैं।
ये तो सब जानते हैं कि बिहार की राजनीति में जाति आधारित समीकरणों का खासा महत्व है। चुनावी साल में सभी समाज अपनी जनसंख्या के आधार पर हिस्सेदारी की मांग कर रहे हैं। दीपक चंद्रवंशी का मानना है कि चंद्रवंशी समाज को उनके सही हिस्से से वंचित रखा गया है, और अब समाज को एकजुट करके यह आवाज उठाई जा रही है। उनका उद्देश्य यह है कि चंद्रवंशी समाज को अपनी जनसंख्या के हिसाब से सामाजिक और राजनीतिक भागीदारी दी जाए।
दीपक चंद्रवंशी का यह कदम बिहार की राजनीति में एक महत्वपूर्ण मोड़ ला सकता है। उनके नेतृत्व में चंद्रवंशी समाज एकजुटता का संकेत देने जा रहा है और इस रैली के जरिए अपने अधिकारों की मांग शुरू कर दी है। कई समाजों के नेता पहले ही अपनी जनसंख्या और हिस्सेदारी के लिए आंदोलन और रैलियां आयोजित कर चुके हैं। अब चंद्रवंशी समाज भी अपनी ताकत दिखाने के लिए तैयार है।
दीपक चंद्रवंशी का साफ कहना है कि यह सिर्फ एक रैली नहीं, बल्कि समाज की ताकत और एकता का प्रतीक है। अगर चंद्रवंशी समाज अपनी ताकत और एकजुटता दिखाने में सफल होता है, तो भविष्य में वह राजनीतिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त कर सकता है। सरकार ने अगर चंद्रवंशी समाज को नज़रंदाज़ करने की कोशिश की है तो इसका खामियाजा अब भुगतना होगा।
बाकी आने वाले समय में,दीपक चंद्रवंशी खुद भी बिहार की राजनीति में एक अहम भूमिका निभा सकते हैं, और चुनावी मैदान में उतरने का विचार कर सकते हैं। उनकी यह पहल चंद्रवंशी समाज के लिए एक नई दिशा का संकेत हो सकती है,बाकी अब आने वाले वक्त में मालूम चलेगा की चंद्रवंशी समाज दीपक चंद्रवंशी के कदमों पर चल एक जुट हो पता है और अपनी हक की लड़ाई लड़ पता है या नहीं।