
बिहार में विधान सभा चुनाव को लेकर सियासी गतिविधिया तेज़ हो गयी है पहले अमित शाह बिहार दौरे पर आये और अब कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राहुल गाँधी बिहार दौरे पर आये है, चलिए इससे जुडी सभी जानकारी आपको देते है –
देश की राजनीति में आज एक अहम दिन साबित हो सकता है, क्योंकि कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी आज दिल्ली से पटना पहुंचे और फिर पटना से बेगूसराय गए। राहुल गांधी यहां कांग्रेस नेता कन्हैया कुमार की अगुवाई में चल रही “पलायन रोको यात्रा” और “नौकरी दो यात्रा” में शामिल होंगे। यह यात्रा बिहार के युवाओं की आवाज़ बनकर उभरी है, और अब राहुल गांधी का इसमें जुड़ना इस पूरे आंदोलन को एक नई ऊर्जा देने वाला कदम माना जा रहा है।
बेगूसराय को बिहार की राजनीति का ‘लेनिनग्राद’ कहा जाता है। वामपंथी विचारधारा की मजबूत जड़ें यहां दशकों से रही हैं। कन्हैया कुमार का यहां से जुड़ाव न केवल व्यक्तिगत है, बल्कि वैचारिक भी है। उन्होंने यहीं से 2019 में लोकसभा चुनाव लड़ा था और भले जीत नहीं पाए, लेकिन एक बड़ा जनसमर्थन हासिल किया। अब वे कांग्रेस में आ चुके हैं और पार्टी उन्हें युवाओं का चेहरा बनाने की ओर कदम बढ़ा रही है।
आपको बतादे की बिहार से हर साल लाखों युवा पलायन करते हैं। शिक्षा, रोजगार और विकास की तलाश में वे अपने घर, गांव और परिवार छोड़कर महानगरों की ओर कूच करते हैं। कन्हैया कुमार ने इस स्थिति को “मानव संसाधन का अपहरण” कहा है। उनका मानना है कि जब राज्य में ही पर्याप्त रोजगार होगा, तो कोई क्यों अपने घर से दूर जाएगा?
“पलायन रोको यात्रा” और “नौकरी दो यात्रा” इसी सोच से निकली है — जहां युवाओं को संगठित कर, सरकार से जवाब माँगा जाए। इस यात्रा की शुरुआत कुछ महीनों पहले हुई थी, और अब यह राज्य के कई जिलों में पहुंच चुकी है। कन्हैया कुमार खुद इन यात्राओं की अगुवाई कर रहे हैं, और युवाओं के बीच खासे लोकप्रिय हो चुके हैं।
राहुल गांधी का इस आंदोलन में आना यह दर्शाता है कि कांग्रेस पार्टी अब सीधे तौर पर युवाओं के मुद्दों को चुनावी एजेंडा बनाना चाहती है। राहुल ने कई बार सार्वजनिक मंचों से कहा है कि देश में सबसे बड़ी समस्या बेरोजगारी है, और मौजूदा सरकार ने इस दिशा में केवल जुमलेबाज़ी की है।
> “सरकार हर साल 2 करोड़ रोजगार देने की बात करती थी, लेकिन सच ये है कि आज देश का युवा या तो पेपर लीक से परेशान है या रोजगार के इंतज़ार में बूढ़ा हो रहा है। कन्हैया कुमार की यह यात्रा सिर्फ़ एक यात्रा नहीं, यह एक क्रांति की शुरुआत है।”
यह साफ है कि कांग्रेस अब पुराने ढर्रे से बाहर निकलकर जमीनी राजनीति करना चाहती है। जहां एक ओर भाजपा राम मंदिर, राष्ट्रवाद और हिंदुत्व को अपना चुनावी मुद्दा बना रही है, वहीं कांग्रेस बेरोजगारी, शिक्षा, और महंगाई जैसे सवालों पर केंद्रित रहना चाहती है।
राहुल गांधी ने भारत जोड़ो यात्रा के ज़रिए देशभर में लोगों से जुड़ाव बनाया। अब बिहार में इस नई यात्रा में शामिल होकर वे न केवल युवाओं के बीच लोकप्रियता हासिल करना चाहते हैं, बल्कि आने वाले चुनावों के लिए पार्टी की ज़मीन भी मज़बूत करना चाहते हैं।
भाजपा नेताओं ने राहुल गांधी की इस यात्रा पर तंज कसा है। बिहार भाजपा अध्यक्ष सम्राट चौधरी ने एक प्रेस वार्ता में कहा:
> “राहुल गांधी खुद एक भ्रमणशील नेता हैं, जो न खुद की सीट संभाल पाए, न पार्टी को। अब वे बिहार आकर युवाओं को बहकाना चाहते हैं। लेकिन बिहार की जनता अब जान चुकी है कि कांग्रेस ने दशकों तक सिर्फ़ वादे किए, विकास नहीं किया।”
वहीं, जदयू के प्रवक्ता ने कहा कि “कन्हैया कुमार को कांग्रेस का नया चेहरा बनाना कांग्रेस की हताशा का प्रमाण है।”
बिहार की राजनीति में जो बदलाव दिख रहा है, वह केवल नेताओं की बयानबाज़ी से तय नहीं होगा, बल्कि गांव-कस्बों में बैठे उन युवाओं से होगा जो अब पहले की तरह चुप नहीं हैं। इस यात्रा के दौरान युवाओं की भागीदारी और उनकी नाराजगी यह साफ कर रही है कि इस बार चुनाव सिर्फ़ भावनाओं पर नहीं, मुद्दों पर लड़ा जाएग
कांग्रेस के अंदरूनी सूत्रों के मुताबिक यह यात्रा सिर्फ बेगूसराय तक सीमित नहीं रहेगी। जल्द ही इसे पटना, दरभंगा, पूर्णिया, गया और भागलपुर जैसे बड़े शहरों में भी ले जाया जाएगा। राहुल गांधी के अलावा प्रियंका गांधी, सचिन पायलट, और मल्लिकार्जुन खड़गे जैसे नेता भी इन कार्यक्रमों में शामिल हो सकते हैं।
यात्रा के अंत में एक बड़ी “बेरोज़गारी महासभा” आयोजित की जाएगी, जहां राहुल गांधी और कांग्रेस का घोषणापत्र भी युवाओं के मुद्दों पर केंद्रित होगा।
राहुल गांधी का बिहार दौरा एक साधारण राजनीतिक रैली नहीं, बल्कि एक रणनीतिक और वैचारिक लड़ाई का हिस्सा बनता जा रहा है। जहां एक ओर भाजपा और उसके सहयोगी दल राम मंदिर और राष्ट्रवाद की भावना को चुनावी हथियार बना रहे हैं, वहीं कांग्रेस अब युवाओं, रोजगार और पलायन जैसे मुद्दों के दम पर जनता के बीच अपनी पैठ बनाना चाहती है।