
बिहार में लैंड सर्वे का ऐतिहासिक पहल “अब आपकी जमीन का रिकॉर्ड होगा सुरक्षित और डिजिटल – बिहार सरकार का बड़ा कदम!”
भूमि का सही रिकॉर्ड किसी भी राज्य के विकास में इम्पोर्टेन्ट रोल निभाता है। बिहार सरकार ने इसी दिशा में एक बड़ा कदम उठाते हुए (Bihar Land Survey) शुरू किया है, जो आने वाले 31 मार्च तक पूरा किया जाना है। यह सर्वेक्षण न केवल भूमि विवादों को कम करने बल्कि भूमि रिकॉर्ड को डिजिटलीकरण करने की ओर एक महत्वपूर्ण पहल है।
इस खबर में हम जानेंगे कि बिहार में भूमि सर्वेक्षण क्यों जरूरी है, इसके क्या फायदे हैं, इसे पूरा करने के लिए सरकार क्या कदम उठा रही है, और इस सर्वेक्षण से आम लोगों को क्या लाभ मिलेगा।
बिहार में भूमि विवाद एक बड़ी समस्या रही है। पुरानी बंदोबस्ती व्यवस्था, सीमांकन की गड़बड़ियां और दस्तावेजों की कमी के कारण भूमि से जुड़े हजारों मामले अदालतों में रजिस्टर्ड हैं।
पिछली बार बिहार में भूमि सर्वेक्षण 1905-1915 के बीच ब्रिटिश सरकार के समय में हुआ था। लगभग 100 साल बाद, अब राज्य सरकार ने इसे नए तरीके से करने का फैसला किया है ताकि भूमि मालिकों को उनके सही दस्तावेज मिल सकें और भविष्य में किसी तरह की धोखाधड़ी और विवाद न हों।
वही इसका मुख्य उद्देश्य है राज्य के सभी भूमि रिकॉर्ड को अपडेट और डिजिटल बनाना।भूमि विवादों को कम करना और मालिकाना हक क्लियर करना।रेवेनुए कलेक्शन को और प्रभावी बनाना। गरीबों और भूमिहीन लोगों के लिए भूमि वितरण को आसान बनाना।नक्शों और रिकॉर्ड्स को ऑनलाइन उपलब्ध कराना ताकि लोग आसानी से अपनी जमीन की जानकारी देख सकें।सरकार का लक्ष्य है कि 2025 तक सभी जिलों का सर्वे पूरा हो जाए, जिससे भूमि से जुड़े ऑफिसियल वर्क में तेजी आए।
बिहार सरकार ने आने वाले 31 मार्च को भूमि सर्वेक्षण की अंतिम समय सीमा तय की है। यह इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि—
डिजिटलीकरण की प्रक्रिया तेज करनी होगी।
सरकार का बजट और संसाधन सीमित हैं, समय पर सर्वेक्षण पूरा करना आवश्यक है।
राजस्व और भूमि सुधार विभाग को नए भूमि मालिकों को सही रिकॉर्ड उपलब्ध कराने होंगे।
अगर सर्वेक्षण समय पर पूरा नहीं होता, तो यह पूरे एडमिनिस्ट्रेटिव सिस्टम को प्रभावित कर सकता है और भूमि विवादों के समाधान में और देरी हो सकती है।
वही इसको लेकर सरकार ने नए कदम उठाये है बिहार सरकार ने भूमि सर्वेक्षण को पूरा करने के लिए 9,888 अमीन, कानूनगो और सर्वेक्षण अधिकारियों की नियुक्ति की है। ये अधिकारी जमीनों की माप, सीमांकन और रिकॉर्ड अपडेट करने का कार्य कर रहे हैं।
आपको बतादे की इसमें ड्रोन मैपिंग, सैटेलाइट इमेजिंग, और डिजिटल डेटा एंट्री जैसी आधुनिक तकनीकों का उपयोग किया जा रहा है, जिससे सर्वेक्षण अधिक सटीक हो सके।सरकार गांवों में कैंप लगाकर लोगों को जागरूक कर रही है कि वे अपने लैंड डाक्यूमेंट्स अपडेट करवा लें। सरकारी पोर्टल पर भी जानकारी उपलब्ध कराई जा रही है।भूमि मालिक खुद भी ऑनलाइन या ऑफलाइन अपनी जमीन का डिस्क्रिप्शन दर्ज कर सकते हैं, जिससे सर्वेक्षण की प्रक्रिया तेज होगी।पहले भूमि सर्वेक्षण की एंडिंग डेट जुलाई थी, लेकिन अब इसे 31 मार्च तक करने का निर्णय लिया गया है।
भूमि मालिकों को क्या क्या करना चाहिए
तो सबसे पहले अपने जमीन के कागजात अपडेट करवाना चाहिए अगर कोई गड़बड़ी हो, तो तुरंत शिकायत दर्ज करवानी चाहिए और ऑनलाइन पोर्टल पर अपनी जमीन की स्थिति चेक करनी चाहिए जो लोग समय पर अपने दस्तावेज अपडेट नहीं कराएंगे, उन्हें फ्यूचर में प्रोब्लेम्स का सामना करना पड़ सकता है।
वही इससे जुड़े कई फायदे भी है जैसे की भूमि विवाद कम होंगे और अदालती मामले घटेंगे। नक्शे और रिकॉर्ड ऑनलाइन अवेलेबल होंगे।सरकार को टैक्स कलेक्शन में आसानी होगी।अवैध कब्जों और उल्लंघन पर रोक लगेगी। भूमिहीन लोगों को जमीन मिलने की संभावना बढ़ेगी।इससे बिहार का राजस्व बढ़ेगा और ग्रामीण विकास को भी बढ़ावा मिलेगा।
बिहार का भूमि सर्वेक्षण इतिहास में एक बड़ा बदलाव लाने वाला कदम है। इससे भूमि मालिकों को क्लियर डाक्यूमेंट्स मिलेंगे, सरकार को राजस्व में मदद मिलेगी, और भूमि विवादों में कमी आएगी।31 मार्च की समय सीमा महत्वपूर्ण है, और सभी भूमि मालिकों को इस अभियान में भाग लेना चाहिए। सरकार ने इस कार्य को सफल बनाने के लिए हरसंभव प्रयास किए हैं, और अगर ये सर्वेक्षण सफल रहा, तो ये भविष्य में पूरे भारत के लिए एक मिसाल बन सकता है।