
इस वक़्त की बड़ी खबर “बेगूसराय में राहुल गांधी की पदयात्रा मात्र 24 मिनट में समाप्त – सभा रद्द, जनता हैरान
बिहार की राजनीति में एक ऐसी घटना घटी है, जिसने न केवल कांग्रेस की रणनीति पर सवाल खड़े कर दिए हैं, बल्कि राज्य की राजनीति में भी नई चर्चा को जन्म दिया है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी का बहुप्रचारित बेगूसराय दौरा महज 24 मिनट में समाप्त हो गया। वे सिर्फ़ एक किलोमीटर की पदयात्रा करके वापस लौट गए, और जिस जनसभा की तैयारी पिछले कई हफ्तों से हो रही थी, उसे अंतिम क्षणों में रद्द कर दिया गया।
इस घटनाक्रम ने कार्यकर्ताओं, स्थानीय जनता और राजनीतिक विश्लेषकों को चौंका दिया है। कई सवाल उठ रहे हैं — क्या कांग्रेस अभी भी जमीनी सच्चाई से अनजान है? या फिर यह केवल एक प्रतीकात्मक उपस्थिति थी?
राहुल गांधी का यह दौरा “पलायन रोको यात्रा” और “नौकरी दो आंदोलन” के समर्थन में था, जिसकी अगुवाई कर रहे हैं कांग्रेस नेता कन्हैया कुमार। यह यात्रा बेरोजगारी, शिक्षा की दुर्दशा और बिहार से बड़े पैमाने पर होने वाले पलायन के खिलाफ आवाज़ उठाने के लिए शुरू की गई थी।
इस यात्रा को लेकर कांग्रेस ने प्रचार में कोई कसर नहीं छोड़ी थी। सोशल मीडिया, पोस्टर्स, वीडियो क्लिप्स और प्रेस विज्ञप्तियों के ज़रिए बताया गया कि राहुल गांधी खुद इस आंदोलन से जुड़ेंगे और युवाओं की आवाज़ को नई दिशा देंगे।
बेगूसराय, जो कभी वामपंथ का गढ़ रहा है और जहां से कन्हैया कुमार 2019 में लोकसभा चुनाव लड़े थे, उसी ज़मीन को फिर से सक्रिय करने की कोशिश के तहत यह कार्यक्रम रखा गया था।
सभा स्थल पर कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने भव्य मंच बनाया था। हजारों कुर्सियाँ लगाई गई थीं। बैनर, झंडे और रंग-बिरंगे पोस्टर लगे थे। कार्यकर्ताओं ने गांव-गांव जाकर प्रचार किया था कि राहुल गांधी आ रहे हैं। युवाओं से खास तौर पर अपील की गई थी कि वे सफेद टी-शर्ट पहनकर आएं — एकजुटता और एकता का प्रतीक बनकर।
स्थानीय मीडिया ने भी इस कार्यक्रम को प्रमुखता दी। सुरक्षा व्यवस्था के लिए प्रशासन ने भी पुलिस बल तैनात किया था। सैकड़ों जवान तैनात किए गए थे ताकि किसी भी घटना से बचा जा सके |
राहुल गांधी तय समय पर पटना से हेलिकॉप्टर से बेगूसराय पहुंचे। उनके साथ कन्हैया कुमार, बिहार कांग्रेस के नेता, और कई युवा नेता मौजूद थे। लोगों की निगाहें इस बात पर थीं कि राहुल गांधी किस अंदाज़ में युवाओं को संबोधित करेंगे, और बेरोजगारी जैसे ज्वलंत मुद्दे पर क्या ठोस बातें कहेंगे।
लेकिन जैसे ही उन्होंने पदयात्रा शुरू की, लोगों को अंदाज़ा नहीं था कि यह इतनी जल्दी खत्म हो जाएगी। काफिला कुछ देर चला, नारों की हल्की आवाजें आईं, और फिर अचानक राहुल गांधी वाहन में बैठकर वापस चले गए।
सभा रद्द होने के पीछे कई परस्पर विरोधी बातें सामने आई हैं। कांग्रेस की ओर से यह कहा गया कि प्रशासन ने सुरक्षा कारणों से अंतिम समय में सभा की अनुमति रद्द कर दी थी। लेकिन स्थानीय प्रशासन की ओर से इस पर कोई लिखित बयान सामने नहीं आया।
वहीं कुछ लोगों का मानना है कि सभा में अपेक्षित भीड़ नहीं पहुंची थी, जिससे पार्टी नेतृत्व ने कार्यक्रम रद्द करना ही बेहतर समझा। एक और मत यह है कि राहुल गांधी का मकसद सिर्फ़ प्रतीकात्मक समर्थन देना था, न कि लंबा भाषण देना।