
दिल्ली विधानसभा चुनाव की तारीखों की घोषणा के साथ ही राजनीतिक सरगर्मियाँ तेज हो गई हैं। मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने हाल ही में चुनावी तारीखों का ऐलान किया, जिसमें दिल्ली में एक ही चरण में मतदान होगा। 5 फरवरी को मतदान होगा, और चुनाव के परिणाम 8 फरवरी को घोषित किए जाएंगे। इस दौरान सभी राजनीतिक दलों की ओर से चुनावी रणनीतियाँ सामने आने लगी हैं।
आम आदमी पार्टी (AAP) के मुखिया और दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भी एक प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित की, जिसमें उन्होंने केंद्र सरकार और भारतीय जनता पार्टी (BJP) पर बड़ा आरोप लगाते हुए सनसनी मचा दी। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह ने दिल्ली के जाट समाज के साथ धोखा किया है। उनके इस आरोप से BJP में हलचल मच गई है ।
अरविंद केजरीवाल ने कहा कि प्रधानमंत्री और गृहमंत्री जब चुनाव आता है, तो जाटों की याद आती है, लेकिन कभी उनके लिए कोई काम नहीं किया जाता। केजरीवाल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह से अपील की कि वे दिल्ली के जाट समाज से किए गए अपने वादों को पूरा करें और उन्हें केंद्र की ओबीसी लिस्ट में शामिल करें। उन्होंने इस मुद्दे पर संघर्ष जारी रखने का वादा किया और कहा, “अगर मैं सत्ता में वापस आता हूं, तो मैं जाटों के लिए संघर्ष करता रहूंगा और उन्हें उनका हक दिलाने की लड़ाई जारी रखूंगा।”
केजरीवाल ने इस दौरान इंडिया गठबंधन को लेकर भी अपनी बात रखी। उन्होंने कहा कि दिल्ली में उनका चुनावी संघर्ष कांग्रेस के खिलाफ नहीं है, बल्कि यह BJP के खिलाफ है। उन्होंने ममता बनर्जी और अखिलेश यादव का भी धन्यवाद किया, जिन्होंने उनके नेतृत्व में हो रहे इस संघर्ष में समर्थन व्यक्त किया। उनका कहना था कि यह चुनाव केवल एक क्षेत्रीय संघर्ष नहीं, बल्कि एक बड़े बदलाव का हिस्सा है। अरविंद केजरीवाल ने आरोप लगाया कि बीजेपी ने अपने चुनावी वादों से दिल्ली के जाट समाज को निराश किया है। इसके चलते, अब जाट समाज में गुस्सा बढ़ गया है, और यह बीजेपी के लिए एक बड़ा चुनावी झटका साबित हो सकता है। दरअसल, दिल्ली में जाटों की एक महत्वपूर्ण संख्या है, और उनका समर्थन किसी भी पार्टी के लिए अहम होता है। इस मुद्दे पर केजरीवाल ने चुनावी मोर्चे पर भाजपा को घेरने की पूरी तैयारी कर ली है।
उनके बयान ने यह साफ कर दिया कि दिल्ली में आगामी विधानसभा चुनाव में जाटों के मुद्दे को प्रमुखता से उठाया जाएगा। इसके अलावा, दिल्ली में केंद्र सरकार की 7 प्रमुख विश्वविद्यालयों के होने के कारण जाट समाज के लिए आरक्षण का मुद्दा और भी ज्यादा महत्वपूर्ण हो गया है। यहां केंद्र सरकार की कई संस्थाएं हैं, जहां जाट समाज के लोग आरक्षण का लाभ उठा सकते थे, लेकिन उन्हें यह अवसर नहीं मिल पाया है।
अरविंद केजरीवाल ने दिल्लीवासियों से आह्वान किया कि वे इस चुनाव में दिल्ली के लिए एक मजबूत नेतृत्व का चुनाव करें। उन्होंने यह भी कहा कि उनका लक्ष्य दिल्ली में लोगों को उनके अधिकार दिलाना है, और इसके लिए उन्होंने कई बार प्रधानमंत्री और गृहमंत्री से भी पत्र लिखकर उन्हें उनके वादों की याद दिलाई है।केजरीवाल ने साफ किया कि उनका मुद्दा केवल जाट समाज तक सीमित नहीं है, बल्कि दिल्ली में रहने वाली 5 अन्य जातियाँ भी ओबीसी लिस्ट में शामिल होने के हकदार हैं। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार को इन सभी जातियों के लिए आरक्षण देने की दिशा में कदम उठाना चाहिए ताकि समाज में समानता और सामाजिक न्याय स्थापित किया जा सके।
अरविंद केजरीवाल का जाति कार्ड अब दिल्ली के विधानसभा चुनावों में एक महत्वपूर्ण मुद्दा बन चुका है। उनका आरोप और संघर्ष जाट समाज को उनके हक दिलाने की दिशा में एक बड़ा राजनीतिक कदम हो सकता है। बीजेपी को इस मुद्दे पर अपनी रणनीति पर पुनः विचार करने की आवश्यकता हो सकती है, क्योंकि दिल्ली के जाट समुदाय की नाराजगी चुनावी परिणामों पर प्रभाव डाल सकती है। अब देखना यह है कि यह मुद्दा चुनावी रणभूमि में किस प्रकार आकार लेता है और क्या केजरीवाल अपनी बात को जनता के बीच पुख्ता तरीके से पेश कर पाते हैं।