
इस वक़्त की बड़ी खबर , पटना उच्च न्यायालय से जहा (बीपीएससी) की 70वीं प्रारंभिक परीक्षा को रद्द करने की याचिकाओं को खारिज कर दिया गया है। न्यायालय ने मुख्य परीक्षा आयोजित करने का आदेश देते हुए रि एग्जाम की मांग को अस्वीकार कर दिया।
13 दिसंबर 2024 को बीपीएससी ने 70वीं प्रारंभिक परीक्षा का आयोजन किया था, जिसमें राज्य भर से लाखों अभ्यर्थियों ने भाग लिया। पटना के बापू परीक्षा केंद्र पर परीक्षा के दौरान असामाजिक तत्वों द्वारा उपद्रव कर परीक्षा को बाधित किया गया, जिसके परिणामस्वरूप आयोग ने इस केंद्र की परीक्षा रद्द कर दी और 4 जनवरी 2025 को पुनः परीक्षा आयोजित की।
बापू परीक्षा केंद्र पर री एग्जाम के बावजूद, कई अभ्यर्थियों ने पूरी 70वीं प्रारंभिक परीक्षा को रद्द करने और सभी अभ्यर्थियों के लिए दोबारा परीक्षा आयोजित करने की मांग की। उन्होंने आरोप लगाया कि परीक्षा में कम्प्रेहैन्सिव स्तर पर इर्रेगुलरिटी हुई हैं, जिससे परीक्षा की निष्पक्षता पर सवाल उठे। इस मांग को लेकर अभ्यर्थियों ने पटना के गर्दनीबाग में कई दिनों तक धरना-प्रदर्शन किया और बीपीएससी कार्यालय का घेराव भी किया, जिसके दौरान पुलिस द्वारा लाठीचार्ज की घटनाएं भी सामने आईं।
अभ्यर्थियों की याचिकाओं पर पटना उच्च न्यायालय में सुनवाई हुई। 19 मार्च को न्यायालय की खंडपीठ ने सुनवाई पूरी कर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। और 28 मार्च यानि आज न्यायालय ने अपना निर्णय सुनाते हुए याचिकाओं को खारिज कर दिया और मुख्य परीक्षा आयोजित करने का आदेश दिया।
न्यायालय ने अपने फैसले में कहा कि बीपीएससी परीक्षा के दौरान सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम करे और एक उच्च स्तरीय समिति का गठन किया जाए। यह समिति परीक्षा प्रक्रिया की निगरानी करेगी और भविष्य में ऐसी किसी भी इर्रेगुलरिटी को रोकने के लिए आवश्यक कदम उठाएगी।
न्यायालय के इस निर्णय से अभ्यर्थियों में निराशा देखी गई। इसको लेकर प्रसिद्ध कोचिंग शिक्षक गुरु रहमान ने मीडिया से बातचीत की है , गुरु रेहमान ने कहा की वे इस फैसले के खिलाफ सर्वोच्च न्यायालय में याचिका दायर करेंगे। अभ्यर्थियों ने भी उच्चतम न्यायालय जाने की बात कही है, जिससे यह मामला अभी और आगे बढ़ सकता है।
पटना उच्च न्यायालय के इस फैसले से बीपीएससी 70वीं प्रारंभिक परीक्षा की वैधता को पुष्टि मिली है, और मुख्य परीक्षा के आयोजन का मार्ग प्रशस्त हुआ है। हालांकि, अभ्यर्थियों की असंतुष्ट फीडबैक और सर्वोच्च न्यायालय में अपील की संभावना को देखते हुए, यह मामला अभी समाप्त नहीं हुआ है। आवश्यक है कि परीक्षा प्रक्रियाओं में पारदर्शिता और निष्पक्षता सुनिश्चित करने के लिए संबंधित संस्थाएं सतर्क रहें और अभ्यर्थियों के विश्वास को बहाल करने के लिए आवश्यक कदम उठाएं।