
CM नीतीश का मास्टर प्लान हुआ तैयार,चुनाव के पहले करने जा रहा बड़ा बदलाव
बिहार की राजनीति में एक बड़ा बदलाव आने वाला है, जैसा कि मकर संक्रांति यानी 15 जनवरी के बाद नीतीश कुमार के मंत्रिमंडल के विस्तार की संभावना जताई जा रही है। यह विस्तार 30 जनवरी से पहले पूरा होने की उम्मीद है। अगर यह विस्तार होता है तो बिहार में नीतीश कुमार की सरकार के कैबिनेट में कई नई शक्लें देखने को मिल सकती हैं।
फिलहाल नीतीश कुमार की सरकार में कुल 30 मंत्री हैं, जिनमें मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और दो डिप्टी सीएम शामिल हैं। इनमें से 6 मंत्री पद खाली हैं, जो इस विस्तार में भरे जा सकते हैं। इस विस्तार को लेकर चर्चा है कि बिहार विधानसभा चुनाव से पहले मंत्रिमंडल में बदलाव किया जा सकता है, और इस बदलाव में विशेष रूप से भाजपा के 4 नए चेहरे नीतीश कुमार की कैबिनेट में शामिल हो सकते हैं।
मंत्रिमंडल विस्तार में कुछ खास बातें देखने को मिल सकती हैं। इनमें से एक यह है कि मंत्रिमंडल में फिलहाल जिन भाजपा के मंत्रियों के पास कई विभाग हैं, उनके विभागों का पुनर्वितरण किया जाएगा। साथ ही, जिन नए मंत्रियों को कैबिनेट में शामिल किया जाएगा, उनके बीच विभागों का यह पुनर्वितरण किया जाएगा। इससे यह भी संकेत मिलता है कि बिहार में भाजपा और जदयू के गठबंधन में और भी मजबूती आ सकती है, और सरकार में सामंजस्य बैठाने के लिए इस विस्तार को एक अहम कदम माना जा रहा है।
राजनीतिक हलकों से मिली जानकारी के मुताबिक, मंत्रिमंडल विस्तार में पटना, तिरहुत और सारण प्रमंडल के विधायकों को प्राथमिकता दी जा सकती है। इन क्षेत्रों में राजनीतिक समीकरण और स्थानीय समीकरणों को ध्यान में रखते हुए मंत्री बनाए जाने की संभावना है। बिहार में भाजपा के 15 मंत्री हैं, वहीं ‘हम’ से संतोष कुमार सुमन और निर्दलीय विधायक सुमित कुमार सिंह भी इस कैबिनेट का हिस्सा हैं।
हालांकि, बिहार विधानसभा में मंत्री पदों की संख्या की सीमा है। बिहार विधानसभा के सदस्य संख्या के अनुसार, सरकार के कैबिनेट में अधिकतम 36 मंत्री बनाए जा सकते हैं। इस लिहाज से नीतीश कुमार की सरकार में अब भी 6 मंत्री पद खाली हैं, जिन्हें जल्द ही भरा जा सकता है। यही कारण है कि 15 जनवरी के बाद से इस विस्तार की प्रक्रिया कभी भी शुरू हो सकती है, और 30 जनवरी तक इसे पूरा किया जा सकता है।
मंत्रिमंडल विस्तार के दौरान जातिगत समीकरणों का भी ध्यान रखा जा सकता है। 2025 में होने वाले विधानसभा चुनाव को देखते हुए, मंत्रिमंडल में शामिल होने वाले नए चेहरों का चुनाव जातिगत आधार पर किया जा सकता है। इस बार बिहार की राजनीति में हर किसी की निगाहें नीतीश सरकार के कैबिनेट विस्तार पर टिकी हुई हैं, और यह देखना दिलचस्प होगा कि कौन से नए चेहरे इस कैबिनेट का हिस्सा बनेंगे।
इस विस्तार के साथ यह भी माना जा रहा है कि नीतीश कुमार के नेतृत्व में सरकार की कार्यशैली में बदलाव हो सकता है, और यह विस्तार बिहार की राजनीति में नई दिशा का संकेत दे सकता है। कुछ राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह विस्तार बिहार में आगामी विधानसभा चुनावों के लिए भी एक रणनीति हो सकता है, ताकि गठबंधन में सामंजस्य बना रहे और चुनावी मैदान में बेहतर तरीके से उतरा जा सके।
नीतीश कुमार का यह कदम राज्य में एक और राजनीतिक बदलाव का संकेत हो सकता है। मंत्रिमंडल विस्तार के इस मौके पर बिहार की राजनीति में एक नई हलचल देखने को मिल सकती है, जिसमें पुराने और नए चेहरों का मिश्रण हो सकता है, और यह विस्तार आने वाले चुनावों के लिए भी महत्वूर्ण साबित हो सकता है।
साथ ही यह कहा जा सकता है कि 15 जनवरी के बाद बिहार की राजनीति में बहुत कुछ बदल सकता है, और नीतीश कुमार का मंत्रिमंडल विस्तार इस बदलाव का हिस्सा हो सकता है। हर किसी की नजरें इस विस्तार पर टिकी हैं, और यह देखना बाकी है कि यह विस्तार बिहार के राजनीतिक परिप्रेक्ष्य में किस तरह के परिणाम लेकर आता है।